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Dororo: एनिमे समीक्षा

Dororo एनिमे 2019 मे आया एनिमे था जो 7 जनवरी 2019 से लेकर 24 जून 2019 के बीच प्रसारित हुआ था।
जानकारी:
यह एनिमे आधारित जापान के प्रसिद्ध माँगाका (जापानी कॉमिक कलाकार) ओसामु तेज़ुका के1967 मे इसी नाम से प्रकाशित मांगा (जापानी कॉमिक) पर।
उस मांगा का फिर 1969 मे रूपांतरण हुआ था एक एनिमे(एनिमेशन) धारावाहिक के रूप मे जो कातिब 26 एपिसोड का था।

2019 मे पहले एनिमे के 50 वर्ष पूरे होने के अवसर नए एनिमे को प्रसारित किया गया था।
इस नए एनिमे को ओसामु तेज़ुका के एनिमेशन स्टूडियो तेज़ुका प्रोडक्शन के साथ MAPPA ने मिलकर बनाया था।
2019 का एनिमे काफी हद तक पुनर्निर्माण है 1969 के एनिमे का, इसलिए इसमे कई बदलाव किए गए थे।

कहानी:
कहानी शुरू होती है मध्यकालीन जापान के झगड़ते राज्यो के काल के ठीक शुरुआत से पहले। दाईगो एक सामंत या भूपति था जिसके राज्य मे सूखा और अन्य आपदाओं ने हमला कर रखा था।
इन सब से परेशान होकर दाईगो अपनी पहली संतान को 12 असुरो को बलि के रूप मे दे देता है और बदले मे वह अपने राज्य की समपन्नता मांगता है।
वज 12 असुर दाईगो के नवजात शिशु के अलग-अलग अंग खाँ जाते थे और ऐसे मे जो बच्चा बचता है, वह बिना चमड़ी, आँखों, जुमाना, अंदरूनी अंगो और हाथ-पैर का होता है। पर अपनी माँ नुई की महात्मा बुद्ध और क्षमा की देवी पर भक्ति के कारण ही वह शिशु जीवित रहता है।


वादा पूरा होता है और दाईगो का राज्य समपन्न हो जाता है। दाईगो अपने नवजात शिशु को मरवाने का हुक्म देता है पर धाय उस बच्चे पर तरस खाकर उसे नदी मे बहा देती है। वह बच्चा फिर एक नेकदिल व्यक्ति को मिलता है, जो इत्तेफाक से एक वैद्य और नकली अंग बनाने का उस्ताद था।
यही नेकदिल व्यक्ति फिर उस शिशु को पालता है, उसे ह्याक्कीमारू नाम देता है, उसे नकली अंग देता है और जीवन जीने के सभी गुण सीखाता है।
ह्याक्कीमारू फिर निकल पड़ता है एक सफ़र पर जानने अपने इस रहस्यमई हालत का राज़ जानने और फिर इसी सफ़र पर उसे दोरोरो नामक एक बालक मिलता है।
क्या ह्याक्कीमारू अपनी सच्चाई जान पायेगा? क्या उसे अपने अंग, अपना शरीर मिल पायेगा? क्या वह बदले की भावना के कारण गलत राह पर चले जाएगा?
इन सब प्रश्न का उत्तर आपको यह एनिमे देखकर ही मिलेगा।

समीक्षा:
क्योंकि यह कहानी आज की पीढ़ी के लिए बनाया गया था इसलिए इसमे काफी मार-काट और खून-खराबा है। वही एपिसोड 6 मे एक कुछ सेकंड का अश्लील दृश्य है। नग्नता है नही, जो है वह आपत्तिजनक नही है।
यदि इस एनिमे के एनिमेशन की बात करे तो वह बढ़िया था। रंग से लेकर छोटी बारीकियां सब बढ़िया था। हा पर समय के साथ एनिमेशन का स्तर कम होते जाता है।
इस एनिमे की सबसे मज़बूत बात इसका एक्शन है। वह भी शुरुआती एपिसोड के बाद कमजोर पड़ जाता है। एक्शन दृश्य और लड़ाईया ठीक थाक है, पर फिर भी मनोरंजन करती है।
कथानक की बात करू तो उसमे भी एपिसोड के साथ स्तर ऊपर और नीचे जाता रहता है।
दोरोरो की कहानी काफी बढ़िया और हटकर थी लेकिन ओसामु तेज़ुका उसे पूरी तरह से निखार नही पाए थे।
इस नए एनिमे मे उस मामले मे काफी काफी सुधार किया था, पर फिर एनिमे के लेखक भी अधिक कुछ नही पाए मेरे हिसाब से। इस एनिमे मे काफी क्षमता था, जिसे पता नही क्यों इसके लेखक पूरी तरह से उपयोग न कर सके।
एनिमे के लेखको ने 1969 के एनिमे के मुकाबले चरित्रों पर ज्यादा बेहतर काम किया है। जहाँ 1969 के एनिमे अधिकतर पात्र एक आयामी ही लगते थे, वही इस नए एनिमे मे पात्रो को लेखक काफी अच्छे से उभार पाए है।
पात्रो के कैरेक्टर डिज़ाइन मे भी अच्छा काम हुआ है। उनके वेशभूषा पर भी बढ़िया काम हुआ है।
संगीत के मामले मे भी अच्छा काम किया गया है। पृष्टभूमि मे बजता जापानी संगीत मध्यकालीन जापान का एहसास कराता था। कौफ और एक्शन के दृश्यों के समय भी संगीत रोमांचित करने मे कामियाब रहता है। पॉलीसाउंड भी अच्छा है। मैने एयरफोन लगाकर एनिमे देख रहा था और कई बार बरसात के दृश्य के समय ऐसा लगता कि घर के बाहर सच मे बरसात चल रही थी। हा एक्शन दृश्यों के समय कुछ गलतिया थी पॉलीसाउंड मे, पर उसे नज़रअंदाज़ कर सकते है।
वही इसके ओपनिंग और एंडिंग गीतों ने मुझे अधिक प्रभावित नही किया पर फिर इसका पहला ओपनिंग kaen मुझे बहुत पसंद आया जिसे एक जापानी रॉक बैंड ziyoou vachi ने गया था।


मेरी राय:
मेरे हिसाब से दोरोरो एक मनोरंजक एनिमे है। इसमे कुछ खामिया है जो इसे एक बेहतरीन एनिमे बनने से रोक देती है।
मैं इस एनिमे की 5 मे से 3.7 अंक दूँगा।

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